मेरठ, उत्तर प्रदेश: एक औरत की टूटी उम्मीदों की कहानी
उत्तर प्रदेश के मेरठ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक लड़की की शादी होती है, और शादी के कुछ समय बाद उसका पति दुबई नौकरी के लिए चला जाता है। शुरुआत में सब कुछ ठीक चलता है, लेकिन कुछ महीनों बाद लड़की के ससुराल में तनाव शुरू हो जाता है।
सास की क्रूरता और घरेलू हिंसा
सबसे पहले सास उसे परेशान करने लगती है — बात-बात पर ताने, मारपीट, और यहां तक कि गला दबाने की भी कोशिश की जाती है। जब यह सब पति को बताया गया, तो उम्मीद थी कि वह पत्नी का साथ देगा।
फोन पर तीन तलाक – रिश्तों की हत्या
लेकिन हुआ उल्टा — पति ने मां का पक्ष लेते हुए पत्नी को ही दोषी ठहरा दिया और फोन पर ही तीन तलाक दे दिया।
अब सवाल यह है:
क्या कोई इंसान फोन पर बैठे-बैठे किसी की ज़िंदगी बर्बाद कर सकता है?
लड़की की प्रतिक्रिया: इज्ज़त का सवाल
अगर वह दुबई से फोन पर कह सकता है “तलाक”, तो लड़की भी कह सकती है:
“अगर हिम्मत है, तो इंडिया आकर बोलो!”
क्या सिर्फ पुरुषों को अधिकार है रिश्ते तोड़ने का?
कानून की शरण में – इंसाफ की उम्मीद
लड़की ने हार नहीं मानी — वह थाने गई, पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस अब मामले की जांच कर रही है।
जब कोई महिला पर अत्याचार करता है और समाज चुप रहता है, तब कानून को सख्ती दिखानी चाहिए।
शादी: अधिकार नहीं, ज़िम्मेदारी है
“किसी की जिंदगी बर्बाद करना सबसे आसान काम है,
पर किसी की जिंदगी बनाना — वही असली इंसानियत है।”