लल्लू रामों 85 Years Old Man Marriage

उम्र और शादी का असमान पैमाना

शादी एक पवित्र बंधन है। जब कोई 25, 28 या 30 साल का युवक या युवती विवाह करता है, तो समाज उसे स्वाभाविक मानता है। लेकिन यदि कोई 85 साल का बूढ़ा व्यक्ति किसी युवती से शादी करना चाहे, तो समाज इसे शादी नहीं, बल्कि “हवस का शिकार” कहता है। ऐसी ही एक घटना में एक 85 वर्षीय व्यक्ति ने शादी करने की इच्छा से विभिन्न मोबाइल ऐप्स पर प्रयास करना शुरू किया। तभी एक कॉल आया कि “एक लड़की आपसे शादी करना चाहती है”, लेकिन पहले उसे रजिस्ट्रेशन शुल्क देना होगा। उस बुजुर्ग ने पैसे जमा कर दिए और एक महिला से उसकी बातचीत शुरू हो गई। दोनों के बीच प्रेम बढ़ता गया, और फिर महिला ने लाखों रुपये मांगने शुरू कर दिए। दुख की बात यह है कि वह व्यक्ति यह सब देता गया – शायद प्यार या शादी की उम्मीद में।


देश में भावनात्मक शोषण और दोहरी मानसिकता

हमारे देश में “लल्लू रामों” की कोई कमी नहीं है – जो बिना सोचे-समझे ऐसे झांसे में आ जाते हैं। एक गरीब आदमी के पास खाने तक के पैसे नहीं होते, लेकिन एक अमीर व्यक्ति लाखों रुपये सिर्फ किसी महिला की बातों में आकर उड़ा देता है। यह समाज की एक बड़ी विडंबना है। करोड़ों रुपये लोग शादी के नाम पर, दिखावे के नाम पर बहा देते हैं, लेकिन जब किसी ज़रूरतमंद या बीमार को मदद की दरकार होती है, तो लोग एक रुपया भी देने को तैयार नहीं होते। किसी के मरने के बाद करोड़ों रुपये दान में दे दिए जाते हैं, मगर जब वह ज़िंदा था तब कोई मदद नहीं करता। क्या ये इंसानियत है?


तंत्र की चुप्पी और व्यवस्था की विफलता

हमारे देश में एक अजीब व्यवस्था है – पुलिस सिर्फ कमजोरों पर कार्रवाई करती है। अस्पतालों में मरीजों से लाखों वसूले जाते हैं, लेकिन वहाँ कोई छापा नहीं पड़ता। डॉक्टर, सरकारी कर्मचारी और बड़े अधिकारी यदि ग़लत करें तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। क्यों? क्या यहाँ के तंत्र ने चूड़ियाँ पहन रखी हैं? या फिर पैसे लेकर मुंह बंद कर लिया जाता है? जो ज़िंदा हैं, उनकी मदद कोई नहीं करता, और जो मर गए, उन्हें करोड़ों रुपये की श्रद्धांजलि मिलती है। अगर देश को बचाना है, तो हमें दोहरे मापदंडों को छोड़ना होगा और हर वर्ग के साथ न्याय करना होगा। नहीं तो यही लोग देश को बर्बाद करने में सबसे बड़ा योगदान देंगे।

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