Balrampur: शादी के 36 दिन बाद पति की हत्या, पत्नी ने खाने में मिलाया जहर

आजकल के मां-बाप और शादी का बदलता नजरिया

आजकल के मां-बाप को बच्चों की परवरिश इस तरह करनी चाहिए कि जब वे शादी के लायक हों, तो उनकी मर्जी को सबसे ऊपर रखा जाए। आज भी कई माता-पिता पुराने सोच में फंसे हैं — जैसे कि बिना बच्चों की पसंद जाने, जबरदस्ती शादी करवा देना। यह तरीका अब सही नहीं है।

शादी एक जीवनभर का बंधन है। जब तक लड़का और लड़की दोनों एक-दूसरे को पसंद न करें, तब तक शादी नहीं करनी चाहिए। अगर दोनों की आपसी सहमति है, तो मां-बाप को भी सहमत होना चाहिए। क्योंकि शादी के बाद अगर रिश्ता ठीक नहीं चलता, तो सबसे ज़्यादा दुख उसी लड़की और लड़के को होता है।

बलरामपुर की घटना से सीख

बलरामपुर की एक घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया। एक लड़की सुनीता की शादी भोलानाथ से कर दी गई, जबकि वह उसे पसंद नहीं करती थी। शादी के कुछ महीने बाद वह ससुराल लौटकर नहीं आई। जब समाज ने दबाव बनाया, तो वह ससुराल आई, लेकिन मानसिक रूप से वह बहुत परेशान थी। उसने चार बार की कोशिश में अपने पति को कीड़े-मकोड़े मारने की दवा चाय में मिलाकर दे दी और अंत में उसे मार ही डाला।

अब सोचिए, अगर शुरुआत में ही उसकी मर्जी पूछ ली जाती, या अगर वह शादी के बाद साफ-साफ कह देती कि वह यह रिश्ता नहीं चाहती, तो इतना बड़ा हादसा टल सकता था।

समाज के लिए संदेश

अगर किसी लड़की को लड़का पसंद नहीं है, या उसका कहीं और प्रेम-प्रसंग है, तो वह साफ़ मन से इनकार कर दे या फिर उस रिश्ते से अलग हो जाए — चाहे भागकर हो या कानूनी रूप से तलाक लेकर। लेकिन किसी को मार डालना, ये बिल्कुल गलत और अपराध है। इससे ना केवल एक इंसान की जान जाती है, बल्कि कई ज़िंदगियां बर्बाद हो जाती हैं — लड़की की भी, लड़के की भी, और दोनों परिवारों की भी।

गुस्से में, या दबाव में कोई गलत कदम उठाना सही नहीं है। अपने दिमाग और दिल को शांत रखें। आज के समय में जब कानून, समाज और मीडिया सब जागरूक हैं, तो अपने अधिकारों का सही तरीके से इस्तेमाल करें — हत्या जैसा अपराध किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता।

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